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Showing posts from 2025

Tere Bina.. part 3

 शाम ढल रही थी। मल्होत्रा हाउस की बालकनी में गुलाबी रोशनी बिखरी हुई थी। रोहित कार से उतरा, बैग उतारा और सीधे उस हॉल की तरफ़ बढ़ा जहाँ हर चीज़ सलीके से सजी रहती थी। लेकिन इस घर की सबसे खूबसूरत बात – वहाँ की शांति और उसकी माँ की मुस्कुराहट थी। माँ, यानी मधुमालती मल्होत्रा। एक dignified woman, graceful और grounded। समाज सेवा के लिए जानी जाती थीं, और रोहित की inspiration भी थीं। जैसे ही रोहित दरवाज़े से अंदर आया, उसकी नज़र सीधी डाइनिंग टेबल पर बैठी अपनी माँ पर पड़ी। मधु (हल्के मुस्कान के साथ): "आ गए आप, Mr. Busy Malhotra?" रोहित (हँसते हुए बैग सोफे पे रखते हुए): "माँ… आज बहुत formal लग रही हो। Aaj aise kyun?" मधु (चाय का प्याला उसकी ओर बढ़ाते हुए): "Because tumhare जैसी बड़ी-बड़ी meetings और college sponsorship deals में हम पीछे नहीं रह सकते।" रोहित चाय का प्याला थामते हुए पास ही बैठ गया। कुछ सेकेंड तक दोनों चुप रहे। बस वो सुकून… जो सिर्फ माँ के सामने मिलता है। रोहित (धीरे से): "आज principal sir से मिला… उन्होंने बताया, इस साल भी आपकी foundation ने 100 st...

Tere Bina.. part 2

 कॉलेज के ऊपरी मंजिल पर प्रिंसिपल का ऑफिस था।रोहित धीमे कदमों से प्रिंसिपल ऑफिस की ओर बढ़ रहा था। उसके चेहरे पर एक अलग-सी बेचैनी थी, लेकिन चाल में वही आत्मविश्वास। दरवाज़े पर पहुँचकर उसने हल्की-सी दस्तक दी। रोहित: "May I come in sir" "Please come in Rohit,"  प्रिंसिपल श्रीवास्तव ने मुस्कुराते हुए कहा,  "बैठो, तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था।  रोहित शालीनता से बैठ गया। उसकी आँखों में वो आदर साफ़ झलक रहा था जो वह हर सीनियर या शिक्षक के लिए रखता था। "क्या हुआ सर कुछ काम था?"  "हां बेटा" फिर बोले, "तुम्हारे मम्मी-पापा की Malhotra Foundation ने इस बार कॉलेज के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है। उनकी वजह से इस साल 100 गरीब और होनहार छात्रों को स्कॉलरशिप मिली है।"  कॉलेज इस gesture को appreciate करता है। हम इस रविवार को एक छोटा सा समारोह कर रहे हैं… जिसकी पूरी तयारी उन्ही स्टूडेंट्स ने की है जिनको स्कॉलरशिप मिली हैं।," श्रीवास्तव सर ने बताया,  "मैं चाहता था कि तुम्हारे मम्मी-पापा को खुद आमंत्रित करूं, लेकिन मुझे एक जरूरी मीटिंग के लिए...

Tere Bina.. part 1

 सुबह के साढ़े नौ बजे थे। कॉलेज का गार्डन एरिया हल्की-हल्की धूप से चमक रहा था। हरियाली से भरा वो कोना, जहाँ अक्सर स्टूडेंट्स अपनी किताबें, ख्वाब और कहानियाँ लेकर बैठते थे। एक बेंच पर बैठा था एक 23 साल का लड़का,रोहित मल्होत्रा। शांत चेहरा, आंखों में गहराई, माथे पे उड़ते हुए बाल, सफेद कलर का शर्ट और जींस में वो किसी राजकुमार से कम नही लग रहा था। पर्सनेलिटी ऐसी की कोई भी एक बार देखे तो फिदा हो जाए। जैसे किसी फिल्म का हीरो हो। रोहित अपने लैपटॉप पे कुछ काम कर रहा था। शायद कोई ऑफिस प्रेजेंटेशन बना रहा था। रोहित… करोड़ों की प्रॉपर्टी का इकलौता वारिस। लेकिन उसे इस बात से फर्क नहीं पड़ता था। वो एकदम सिंपल सा लड़का था। सबसे घुल मिल कर रहने वाला। उसके अमीरी का उसे जरा भी घमंड नहीं था। काफी इमोशनल भी था।  कॉलेज के साथ-साथ अपने पिता की कंपनी के काम में भी हाथ बंटा रहा था। बहुत कम लोग होते हैं जो इतनी कम उम्र में इतना ज़िम्मेदार सोचते हैं… और रोहित उन्हीं में से एक था। तभी पीछे से एक चुलबुली सी आवाज़ आई — "हे रोहित यार! क्या कर रहा है? कितना काम करेगा?" ये थी राशी, उसकी बचपन की दोस्त। बाल ...